Barkagaon News- बड़कागांव प्रखंड के जंगलों में महुआ चुनने के दौरान ग्रामीण आग लगा दे रहे हैं जिसके कारण अधिकतर छोटे-छोटे पौधे, झाड़ियां, जंगली औषधियां जलकर नष्ट हो जा रहे हैं। बार-बार जंगल में आग लगने के कारण जंगल का घनत्व कम होते जा रहा है। जंगल में वर्तमान समय में भी कुछ औषधियां उपलब्ध है जिनका प्रयोग लोग करते हैं ।जैसे हडजओर,गऐठई,टेना, जंगली कोंहडा,गुलर आदि। लोग कहते हैं कि हडजोड़ को शरीर के टूटा हुआ हड्डी स्थान पर सिर्फ बांध देने से हड्डी जुट जाता है। उसी प्रकार गुलर कैंसर रोगी को ठीक करने के काम में आता है।
बार-बार जंगल में आग लगने के कारण जंगली जीव जंतु पंछी को भी भारी नुकसान हो रहा है जिसके कारण इनकी संख्या में कमी होता जा रहा है। इस दिशा में काण्डतरी वन प्रबंधन एवं संरक्षण समिति के सदस्य लोग 5 वर्षों से लगातार सक्रियता के साथ कार्य कर रहे है। कुलेश्वर कुमार का कहना है कि महुदी पहाड़ हजारों एकड़ में फैला हुआ है जैसे महुदी, मिर्जापुर, पलाण्डु, खपिया, काण्डतरी, पंडरिया, सीकरी, निरी इत्यादि का जंगल जो एक दूसरे जंगलों से जुड़ा हुआ है। जब एक पहाड़ पर आग लगता है तो धीरे-धीरे पूरा पहाड़ में आग फैल जाता है जिसके कारण हम लोगों को आग बुझाने में ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है। वन विभाग के द्वारा बड़कागांव वन क्षेत्र एवं केरेडारी वन क्षेत्र में आग बुझाने के लिए मात्र दो मशीन उपलब्ध कराया गया है जिसमें एक खराब है जिसके कारण एक मशीन से दोनों वन क्षेत्र में आग बुझाने का काम पूरा नहीं हो पाता है ।
इसलिए अतिरिक्त मशीन के अलावा टॉर्च , आवागमन के लिए पेट्रोल, अच्छा सोल वाला जूता की आवश्यकता है। हम लोग हर वर्ष अपने खर्चे से आग बुझाने का काम करते आ रहे हैं। हम लोगों को विभाग से कुछ भी नहीं मिलता है।हम लोगों को जंगलों में आग बुझाने का कार्य रात हो या दिन दोनों समय करना पड़ता है। हालांकि आग बुझाने में रात का समय आसानी से आग बुझता है। कांडतरी वन समिति के चार -पांच आदमी जैसे कुलेश्वर कुमार, बालेश्वर महतो, तुलेश्वर महतो, मनोहर सिंन्हा जंगल में लगी आग को बुझाने के लिए हर समय तत्पर रहते हैं। जहां कहीं भी जंगल में आग लगता है तो तुरंत बुझाने का प्रयास करते है।