कोलकाता, 6 अक्टूबर, 2024: सामाजसेवा और सामुदायिक सशक्तिकरण का प्रतीक कहलाने वाले हाजरा पार्क दुर्गापूजा कमेटी द्वारा अपने 82वें वर्ष में “शुद्धि” थीम पर मंडप का निर्माण किया गया है, जिसका अर्थ है शुद्धिकरण। इस आकर्षक मंडप का उद्घाटन रविवार को सुब्रत बख्शी (सांसद), शोभनदेब चट्टोपाध्याय (कृषि मंत्री, पश्चिम बंगाल सरकार) एवं सायन देब चटर्जी हाजरा पार्क दुर्गोत्सव समिति के संयुक्त सचिव ने संयुक्त रूप से किया। इस मौके पर समाज के कई अन्य प्रतिष्ठित हस्तियां इसमें शामिल हुए।
पिछले कुछ वर्षों में यह पूजा एक छोटे से आकर से बढ़कर भव्य आयोजन बन गई है, जिसमें पूरे राज्य से श्रद्धालु आते हैं। मुख्य रूप से दलित समुदाय से आने वाले आयोजक इस आयोजन में सामाजिक न्याय और समानता के महत्व पर जोर देते रहते हैं। इस वर्ष पूजा का विषय “शुद्धि” है, जो इसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है। यह याद दिलाता है कि समाज में बहुत प्रगति हुई है, फिर भी आपसी समानता के लिए संघर्ष अब भी जारी है। यह पूजा उन लोगों के लिए प्रेरणा का काम करेगी, जो अधिक न्यायपूर्ण और समतापूर्ण समाज के लिए प्रयास कर रहे हैं।
यह पूजा समानता और मानवाधिकारों के संघर्ष में सबसे आगे रही है। मुख्य रूप से दलित समुदाय द्वारा आयोजित यह पूजा सामूहिक कार्रवाई की शक्ति को प्रदर्शित करती है। यह पूजा कोलकाता की सांस्कृतिक विरासत का एक अभिन्न अंग है। पूजा की उत्पत्ति 1940 के दशक के सामाजिक-राजनीतिक संघर्षों में गहराई से निहित है। हाजरा पार्क दुर्गा पूजा केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह एक आंदोलन है। यह मानवीय भावना और आशा की शक्ति का एक प्रमाण है। हाजरा पार्क दुर्गापूजा के मंडप का थीम दर्शकों के लिए आशा की किरण पेश करती है।
मीडिया से बात करते हुए हाजरा पार्क दुर्गोत्सव समिति के संयुक्त सचिव सायन देब चटर्जी ने कहा, इस वर्ष की थीम ‘शुद्धि’ हमारे समाज को भेदभाव और असमानता से मुक्त करने का संदेश देती है। जब हम जश्न मनाने के लिए एक साथ आते हैं, तो हम अपने इतिहास का सम्मान करते हैं और एक ऐसे समुदाय के निर्माण के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं, जहाँ सभी को महत्व दिया जाता है और शामिल किया जाता है।
पूजा की विरासत इसके सांस्कृतिक महत्व से परे है। इसने सामाजिक परिवर्तन के लिए उत्प्रेरक के रूप में काम किया है। हाजरा पार्क दुर्गापूजा कमेटी का यह आयोजन एके बार फिर आशा की किरण और सामाजिक न्याय के महत्व की याद दिलाता है
1942 में स्थापित हाजरा पार्क दुर्गोत्सव, पूजा कोलकाता नगर निगम (केएमसी) के दलित कर्मचारियों द्वारा एक छोटे से पहल के रूप में शुरू हुई। इस पूजा की परिकल्पना उस समय कोलकाता में व्याप्त जाति-आधारित भेदभाव को चुनौती देने के साधन के रूप में की गई थी, जब दलितों या अछूतों को शहर के सीवरों की सफाई का काम सौंपा गया था, लेकिन उन्हें पारंपरिक रूप से धार्मिक समारोहों में भाग लेने से रोक दिया जाता था। हाजरा पार्क दुर्गा पूजा ने इस दमनकारी मानदंड को हटाने की पहल शुरू की, जिससे हाशिए पर पड़े लोगों को पूजा करने और जश्न मनाने का एक मंच दिया।