- संकल्प,समर्पण और श्रद्धा का प्रतीक है,छठ महापर्व।
हजारीबाग: जिले में पूरी आस्था और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक चार दिवसीय छठ महापर्व इस वर्ष भी हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ। इस पावन पर्व के दौरान लाखों श्रद्धालु विभिन्न छठ घाटों पर एकत्रित हुए, जहां उन्होंने अपनी आस्था और परंपराओं का पालन करते हुए सूर्य देवता और छठी मैया को अर्घ्य अर्पित किया। इस अवसर पर भक्तों में गहरी श्रद्धा और उमंग का माहौल देखने को मिला। पहले दिन नहाय-खाय से पर्व की शुरुआत हुई, जिसमें श्रद्धालुओं ने पवित्र जल में स्नान कर शुद्धता का संकल्प लिया और व्रत का प्रारंभ किया। दूसरे दिन खरना के दौरान व्रतियों ने शाम को प्रसाद ग्रहण किया, जिसमें विशेष रूप से गुड़, चावल और दूध से बना खीर शामिल था। इसके बाद से व्रती 36 घंटे का निर्जल व्रत प्रारंभ किया। तीसरे दिन संध्या अर्घ्य के दौरान, श्रद्धालुओं ने ढलते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। घाटों पर भारी भीड़ के बीच पारंपरिक गीत और छठ मैया के भजनों की गूंज सुनाई दी, जिसने माहौल को भक्तिमय बना दिया। व्रतियों ने जल में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दिया और उनके परिवारजन एवं साथी श्रद्धालुओं ने भी आस्था के इस अनूठे दृश्य का हिस्सा बने। अंतिम दिन प्रातः अर्घ्य के साथ महापर्व का समापन हुआ, जिसमें उगते सूर्य को अर्घ्य दिया गया। इस अवसर पर हर घाट पर अद्भुत दृश्य देखने को मिला सूर्य की किरणों में नहाए हुए जलाशय के किनारे,श्रद्धालु अपने परिवारजनों के साथ सूर्य भगवान और छठी मैया की पूजा में लीन दिखे। सभी ने अपने परिवार की सुख-समृद्धि और जीवन में शांति की कामना की।
छठ महापर्व के आयोजन के दौरान स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा और स्वच्छता के विशेष इंतजाम किए थे। घाटों की साफ-सफाई और विद्युत व्यवस्था का पूरा ध्यान रखा गया था, साथ ही सुरक्षा बल भी तैनात किए गए ताकि श्रद्धालु सुरक्षित और निर्विघ्न पूजा संपन्न कर सकें। कई स्वयंसेवी संगठनों ने भी पानी, स्वास्थ्य सुविधा और खोया-पाया केंद्र जैसी आवश्यक सेवाएं उपलब्ध रखा था।
इस वर्ष के छठ महापर्व ने न केवल सामाजिक समरसता का संदेश दिया, बल्कि पारिवारिक एकता और आस्था की शक्ति को भी उजागर किया। विभिन्न वर्गों के लोग एकजुट होकर इस पर्व में सम्मिलित हुए, जो हमारे सांस्कृतिक धरोहर की जीवंतता को प्रकट करता है।
छठ महापर्व का यह आयोजन एक बार फिर यह संदेश देकर गया कि भारतीय परंपराएं और संस्कार हमें एक साथ जोड़ते हैं और प्रकृति की पूजा एवं आस्था के प्रति हमारी गहरी निष्ठा को रेखांकित करते हैं।
छठ पूजा करने वाली महिला विनीता प्रमोद खण्डेलवाल ने बताया कि छठ महापर्व मेरे और मेरे परिवार के लिए बहुत ही खास है। साल भर हम इस दिन का इंतजार करते हैं। यह सिर्फ पूजा नहीं, बल्कि हमारी आस्था और हमारी परंपराओं का हिस्सा है। जब मैं जल में खड़े होकर सूर्य देवता और छठी मैया को अर्घ्य देती हूं, तो मन में एक अद्भुत शांति और शक्ति का अनुभव होता है। इस पूजा के दौरान हर कठिनाई को सहन करना हमारे लिए एक तपस्या की तरह होता है, जिससे हमें आंतरिक संतोष मिलता है। मेरी यही कामना है कि छठी मैया हमारे परिवार पर हमेशा अपनी कृपा बनाए रखें और हम सभी को सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद दें।