पटना– भोजपुरी सिनेमा के इतिहास में जिन कलाकारों ने अपनी छाप गहरी छोड़ी है, उनमें कुणाल सिंह का नाम शीर्ष पर आता है। अपनी सहज अदाकारी, सादगी और देसी छवि से उन्होंने दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई।
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‘हीरो नंबर 1’ की पहचान: फिल्मों गंगा किनारे मोरा गाँव और बैरी कंगना में शानदार अभिनय के बाद उन्हें दर्शकों ने ‘हीरो नंबर 1’ का खिताब दिया।
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गाँव के बेटे की छवि: बिहार के मनेर के मूल निवासी कुणाल सिंह मिट्टी की महक और देसीपन से गहराई से जुड़े रहे। फिल्मों में वे अक्सर गाँव-गरीब के बेटे के किरदार में नजर आते थे।
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अमिताभ बच्चन से तुलना: 80 के दशक में उनकी ऊंची कदकाठी, दमदार आवाज और आंखों की मासूमियत ने उन्हें ‘भोजपुरी सिनेमा का अमिताभ बच्चन’ का दर्जा दिलाया।
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राजनीति में भी आजमाया हाथ: कुणाल सिंह ने बिहार से लोकसभा चुनाव लड़ा, हालांकि उनका मन हमेशा सिनेमा और अपने दर्शकों के करीब रहा।
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आज भी लीजेंड: भोजपुरी सिनेमा में नए चेहरों के आने के बावजूद कुणाल सिंह का नाम आज भी सम्मान के साथ लिया जाता है। उनका स्टारडम आने वाली पीढ़ियों के लिए आदर्श है।
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राष्ट्रपति पुरस्कार: 2012 में भोजपुरी फिल्मों के उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया।
कुणाल सिंह ने एक बार खुलासा किया था कि उन्हें रामायण सीरियल में राम की भूमिका के लिए भी चुना गया था।
भोजपुरी सिनेमा को सिर्फ ग्लैमर से नहीं, बल्कि संस्कारों से जोड़ने वाले कुणाल सिंह आज भी दर्शकों के दिलों में बसते हैं। उनकी फिल्में आज भी दर्शकों को उसी गर्मजोशी के साथ पसंद आती हैं।