फिल्म लछमिनिया के निर्देशक रितेश एस कुमार ने जातिवाद के मुद्दे पर अपनी फिल्म के माध्यम से प्रभावशाली टिप्पणी की है। उन्होंने कहा, “कभी-कभी हमारी जाति हमें शर्मिंदा कर देती है।” यह फिल्म जातिवाद की मानसिकता पर सवाल उठाते हुए समाज की नकारात्मक व्यवस्थाओं की आलोचना करती है और बिहारी हिंदी भाषा में बनी है।
रितेश एस कुमार ने फिल्म के बारे में अपनी चिंताओं को व्यक्त करते हुए कहा, “फिल्म लछमिनिया जातिवाद की गहरी जड़ों को उजागर करती है, जो हमारे समाज में आज भी मौजूद हैं। यह फिल्म केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज की उन कुरीतियों को सामने लाने का प्रयास है, जिन्हें आमतौर पर नजरअंदाज कर दिया जाता है।”
फिल्म के मुख्य अभिनेता सिंटू सिंह सागर ने कहा, “हमारी फिल्म यह दिखाती है कि जातिवाद समाज के हर स्तर पर कैसे काम करता है और इसका प्रभाव निचली जातियों के लोगों की ज़िंदगी पर कैसे पड़ता है। फिल्म के माध्यम से, हम यह संदेश देना चाहते हैं कि हमें इन सामाजिक बुराइयों के खिलाफ उठ खड़ा होना होगा और समान समाज की दिशा में कदम बढ़ाना होगा।”
रितेश एस कुमार ने आशा व्यक्त की कि लछमिनिया दर्शकों को जागरूक करने में सफल होगी और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
फिल्म लछमिनिया फिल्मेनिया फिल्म फैक्ट्री और नटरंग एंटरटेनमेंट के बैनर तले बनाई गई है, जिसमें तनुश्री चटर्जी और सिंटू सिंह सागर मुख्य भूमिकाओं में हैं। इसके निर्माता अजिताभ तिवारी हैं और निर्देशन रितेश एस कुमार ने किया है। फिल्म में यह दर्शाया गया है कि कैसे सामंती लोग निचली जातियों की महिलाओं पर बुरी नजर रखते हैं और उनके अधिकारों का नाजायज फायदा उठाते हैं। विरोध की आवाजें दबा दी जाती हैं, और जो आवाजें दबाई नहीं जा सकतीं, उन्हें खत्म करने की साजिश रची जाती है।
लछमिनिया की शूटिंग बिहार के लखीसराय जिले में की गई है और यह फिल्म अब फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित होने के लिए तैयार है। अभिनेता सिंटू सिंह सागर ने कहा कि यह फिल्म समाज की जातिवादी मानसिकता को चुनौती देती है और वह अपनी भूमिका को लेकर गर्व महसूस करते हैं। उन्होंने दर्शकों से फिल्म देखने की अपील की है।