राणा नायडू सीज़न 2 के प्रमोशन के दौरान अभिनेत्री कृति खरबंदा ने एक ज़रूरी और संवेदनशील मुद्दे पर खुलकर अपनी राय रखी। सिनेमैटोग्राफर प्रतीक शाह पर लगे कार्यस्थल पर यौन दुर्व्यवहार के आरोपों के संदर्भ में उन्होंने बिना किसी का नाम लिए, इंडस्ट्री को बदनाम करने की प्रवृत्ति पर सवाल उठाए।
कृति ने कहा,
“जिस व्यक्ति पर आरोप है, वह एक सिनेमैटोग्राफर है – यह उसका पेशा है, पर असल समस्या उसकी सोच में है।” उन्होंने इस मसले को सिर्फ फिल्म जगत तक सीमित न रखकर, हर पेशे में मौजूद संभावित खतरों की ओर ध्यान दिलाया।
“यह सिर्फ हमारी इंडस्ट्री में नहीं होता, बल्कि कॉर्पोरेट, मीडिया और अन्य क्षेत्रों में भी महिलाएं और पुरुष ऐसी स्थितियों से गुजरते हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि हम लाइमलाइट में होते हैं, इसलिए बातें सामने आ जाती हैं,” उन्होंने कहा।
उन्होंने स्पष्ट किया कि
“जब कोई व्यक्ति इंडस्ट्री से बाहर होता है, तो उसे उसके नाम या उम्र से पहचाना जाता है। लेकिन जब ऐसा कोई फिल्म इंडस्ट्री का होता है, तो पूरी इंडस्ट्री को कटघरे में खड़ा कर दिया जाता है। ये पूरी तरह से गलत है।”
कृति ने अपनी बात को एक सशक्त निष्कर्ष के साथ खत्म किया:
“कोई भी इंडस्ट्री बुरी नहीं होती – बुराई या अच्छाई व्यक्ति की सोच में होती है। और यह उसकी निजी पसंद और मूल्यों पर निर्भर करता है।”
कृति के इस संतुलित और विचारशील दृष्टिकोण को सोशल मीडिया पर खूब सराहना मिल रही है। जहां एक तरफ उन्होंने जवाबदेही की ज़रूरत पर ज़ोर दिया, वहीं दूसरी तरफ पूरे उद्योग को एक ही रंग में रंगने की प्रवृत्ति पर भी सवाल उठाए – एक ऐसे समय में जब फ़िल्म इंडस्ट्री आत्मविश्लेषण के दौर से गुजर रही है।