हजारीबाग: करम पूजा के पावन अवसर पर हजारीबाग के ग्रामीण क्षेत्रों के विभिन्न स्थानों में आयोजित उत्सव में डॉ. अमित सिन्हा ने मांदर की थाप पर झूमर नृत्य करते हुए इस पारंपरिक पर्व को धूमधाम से मनाया। डॉ. सिन्हा की उपस्थिति ने न केवल ग्रामीणों में उत्साह और ऊर्जा का संचार किया, बल्कि इस पर्व की पौराणिक और सांस्कृतिक धरोहर को नए आयाम भी दिए। देर रात तक उन्होंने ग्रामीणों के साथ मांदर की थाप पर झूमर नृत्य में भाग लिया, जो इस क्षेत्र की पारंपरिक धरोहर का प्रतीक है।
करम पूजा झारखंड, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में प्रमुखता से मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो प्रकृति के साथ मानव जीवन की गहरी एकरूपता और भाई-बहन के अटूट स्नेह और सम्मान का प्रतीक माना जाता है। इस पर्व में करम वृक्ष की पूजा की जाती है, जिसे जीवनदायिनी और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व न केवल प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता है, बल्कि समाज में एकजुटता और सामुदायिक स्नेह को भी बढ़ावा देता है।
पावन अवसर पर ग्रामीणों के साथ मांदर की थाप पर थिरकते हुए उन्होंने झूमर नृत्य में भाग लिया, जो करम पूजा की सांस्कृतिक पहचान है। ग्रामीणों के साथ उनकी इस सहभागिता ने इस पर्व को और भी विशेष बना दिया।
डॉ. सिन्हा ने यह भी कहा कि करम पूजा जैसी पर्वों से हमारी आने वाली पीढ़ियां अपनी संस्कृति और पौराणिक मान्यताओं से जुड़ी रहेंगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस प्रकार के पर्व न केवल हमारे सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करते हैं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत को भी सहेजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
पूरे गांव में करम पूजा के अवसर पर उत्साह और उमंग का माहौल था। ग्रामीणों ने पारंपरिक वेशभूषा धारण कर मांदर की थाप पर झूमर नृत्य किया, डॉ. सिन्हा की उपस्थिति ने ग्रामीणों में विशेष उत्साह पैदा किया, और वे उनके साथ झूमर नृत्य में शामिल होकर अपनी परंपरा को मनाने के लिए बेहद उत्साहित दिखे।
डॉ. अमित सिन्हा की इस सहभागिता ने न केवल ग्रामीणों के मनोबल को बढ़ाया, बल्कि हजारीबाग की सांस्कृतिक धरोहर को भी एक नई पहचान दी। उनके साथ बिताए इस खास पल को ग्रामीणों ने अपनी सांस्कृतिक धरोहर के रूप में संजोकर रखा। यह आयोजन हजारीबाग की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को एक नई दिशा देने के साथ ही पौराणिक प्रतिष्ठा को भी और मजबूत करता है।
डॉ. अमित सिन्हा की इस अद्वितीय उपस्थिति और मांदर की थाप पर झूमर नृत्य में भागीदारी ने करम पूजा के इस अवसर को और भी विशेष बना दिया। ग्रामीणों के साथ उनकी इस सहभागिता ने यह स्पष्ट किया कि उनकी प्राथमिकता हमेशा समाज और संस्कृति के उत्थान में रही है।