विष्णुगढ़। विशुद्ध झारखंडी संस्कृति एवं प्रकृति की आराधना का पर्व करमा विष्णुगढ़ और इसके आसपास के सभी गांवों में हर्षोल्लास मनाया गया। बूंदाबांदी के बीच करमा पर्व के उल्लास में क्षेत्र का हर कोई डूबा नजर आया। प्रखंड के चेडरा, नवादा, बनासो, कुसुम्भा, विष्णुगढ़, करगालो, गोविंदपुर, चानो, सारूकुदर, गाल्होबार, नरकी, खरकी, अलपीटो, बकसपुरा, भेलवारा आदि सभी पंचायत के हरेक टोले-मुहल्ले में सजे हुए अखरा में करम डाल की स्थापना कर शनिवार की शाम में भक्तिभाव से पूजा-अराधना की गई। इसके उपरांत करमा की पुराने एवं आधुनिक झारखंडी गीतों पर रातभर करमव्रती एवं महिला-पुरूष झूमर नाच के साथ झूमते रहे। सुबह में करम डाल को श्रद्धाभाव के साथ स्थानीय नदी-तालाब में विसर्जित किया गया।
करम व्रतियों ने बताया कि करमा पूजा का विशेष महत्व है। इस पर्व में भाई-बहन के रिश्ते में प्यार और स्नेह बनाए रखने की कामना की जाती है। इसके अलावा यह अच्छी भदई फसल होने की कामना से जुड़ा पर्व है। इसमें करम वृक्ष की उपासना की जाती है। जिससे यह प्रकृति के संरक्षण का संदेश देता है। करम का पेड़ उर्वरता, समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है। व्रतियों ने विशेष रूप से पूजा-अर्चना कर पारिवारिक संबंधों को मजबूत बनाने की कोशिश की। इस पर्व पर करमा और धरमा के प्रति श्रद्धा और आस्था प्रकट की जाती है। विष्णुगढ़ के अलावा मुंबई आदि महानगरों में रहने वाले झारखंडी लोगों ने भी करम पर्व का आनंद उठाया।