Thursday, September 19, 2024
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कर्मा महोत्सव: प्रकृति और भाई-बहन के प्रति अटूट प्रेम का प्रतीक

  • टोनी जैन ने बताया कर्म देवता के प्रति आस्था का महत्व

झारखंड, 15 सितंबर: कर्मा महोत्सव झारखंड का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो सामाजिक एकता, सदाचार और भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है। यह पर्व आदिवासी संस्कृति पर आधारित है, लेकिन झारखंड में इसे आदिवासी समाज के अलावा अन्य समुदाय के लोग भी बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाते हैं।

भाजपा नेता और प्रदेश कोषाध्यक्ष टोनी जैन ने कटकमसांडी प्रखंड के विभिन्न पंचायतों, जैसे रेबर, उरीदरी और अन्य ग्रामों में आयोजित कर्मा पूजा समारोहों में हिस्सा लिया। उन्होंने इस अवसर पर कर्मा पूजा से जुड़ी परंपराओं और इसके महत्व पर जानकारी साझा की।

टोनी जैन ने बताया कि कर्मा पूजा का चलन एक लोककथा से जुड़ा है। कथा के अनुसार, एक भाई को जीवन में अत्यधिक परेशानियों का सामना करना पड़ा। एक दिन उसे नदी में तैरता हुआ कर्म का डाली मिला, जिसे वह घर लाया और पूजा की। इसके बाद उसके सभी संकट दूर हो गए और तभी से कर्मा डाली की पूजा की परंपरा आरंभ हो गई।

कर्मा पूजा मुख्य रूप से भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को प्रारंभ होती है। इस पर्व में कर्म शक्ति को युवा और यौवन के देवता माना जाता है, जो अच्छी फसल और स्वास्थ्य के प्रतीक हैं।

हजारीबाग जिले के विभिन्न क्षेत्रों में आदिवासी समुदाय और स्थानीय लोग कर्मा महोत्सव को नृत्य और संगीत के साथ धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी आयु की कामना करते हुए उपवास रखती हैं और कर्मा नृत्य में शामिल होती हैं।

इस वर्ष के महोत्सव में टोनी जैन के साथ सोनू गुप्ता, शेखर गुप्ता, निर्मल साहू समेत कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। ग्रामीणों का भी आयोजन में विशेष सहयोग रहा, जिसने इस पर्व को और भी भव्य बना दिया।

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