- यह फेस्टिवल 21 से 25 दिसंबर 2025 तक राजगीर, नालंदा में आयोजित होगा
गुवाहाटी, 14 अक्टूबर 2025: नालंदा लिटरेचर फेस्टिवल (एनएलएफ) 2025 की आधिकारिक घोषणा पूर्वोत्तर में ज्योति चित्राबन, काहिलीपारा, गुवाहाटी में आयोजित एक इंटरएक्टिव सेशन के माध्यम से की गई। इस आयोजन ने ‘लेगसी, लैंग्वेज एंड लिटरेचर’ के संगम का उत्सव मनाया। यह फेस्टिवल के सफर में एक और अहम पड़ाव था, जो अपनी पहली एडिशन की ओर बढ़ रहा है, जो 21 से 25 दिसंबर 2025 तक राजगीर, नालंदा, बिहार में आयोजित होगा। एक प्रतीकात्मक साझेदारी के तहत नालंदा यूनिवर्सिटी एनएलएफ 2025 में शामिल हो रही है, जहां प्राचीन ज्ञान और आधुनिक सृजनात्मकता का संगम होगा।
इस सेशन में मुख्य अतिथि श्री कला सैकिया, पूर्व डीजीपी, असम सरकार और प्रख्यात लेखक तथा गेस्ट ऑफ ऑनर श्री कल्याण चक्रवर्ती, एसीएस, सांस्कृतिक मामलों का विभाग, असम सरकार शामिल हुए। उन्होंने चेयरपर्सन डी. आलिया, ट्रस्टी धानु बिहार, फेस्टिवल डायरेक्टर गंगा कुमार और अन्य के साथ मिलकर फेस्टिवल की दृष्टि को उजागर किया। इस अवसर पर साहित्य और कला जगत के सदस्य, मीडिया प्रतिनिधि और सांस्कृतिक प्रेमी मौजूद थे। इसमें पद्मश्री अरुप कुमार दत्ता, प्रो. अरुपज्योति सैकिया, श्री प्रभु झा, प्रो. मधुमिता बारबोराह, श्री काइनफम सिंग नोंगकिनरिह सहित कई अन्य लेखक भी शामिल थे जिनके विचारों और अनुभवों ने भारत की साहित्यिक और भाषाई विविधता पर चर्चा को और समृद्ध किया।
श्री कला सैकिया ने कहा, “नालंदा सिर्फ एक स्थान नहीं है; यह एक जीवित विचार है, ज्ञान का शाश्वत प्रकाश, जो भारत और दुनिया को प्रेरित करता रहता है। इस फेस्टिवल को गुवाहाटी लाना इस विश्वास को दर्शाता है कि भारत का हर हिस्सा—बिहार के हृदय से लेकर ब्रह्मपुत्र के तट तक—रचनात्मकता, संवाद और विरासत की एक समान धड़कन साझा करता है।”
श्री कल्याण चक्रवर्ती ने कहा, “असम हमेशा से कहानीकारों और विचारकों की भूमि रहा है। नालंदा लिटरेचर फेस्टिवल का यहां आना हमारी साझा प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है—भारत की विविध भाषाओं, परंपराओं और सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों को संरक्षित और प्रोत्साहित करने की, जो हमारे राष्ट्र की आत्मा बनाती हैं।”
डी. आलिया, चेयरपर्सन ने कहा, “नालंदा उस ज्ञान का प्रतीक है जो केवल मस्तिष्क को नहीं, बल्कि समाज को भी मुक्त करता है। इस फेस्टिवल के ज़रिए हम संवाद, गरिमा और विविधता के सार को भारत के हर कोने तक ले जाना चाहते हैं। गुवाहाटी की गर्मजोशी और बौद्धिकता नालंदा की उस भावना को दर्शाती है—सवाल पूछने का साहस और सुनने की गरिमा।”
पद्मश्री अरुप कुमार दत्ता ने साझा किया, “एनएलएफ की मुंबई से गुवाहाटी तक की यात्रा फेस्टिवल की भारतभर में बढ़ती गूंज को दर्शाती है। नालंदा लिटरेचर फेस्टिवल 2025 ज्ञान, कला और विमर्श का उत्सव होगा, जो हमारे प्राचीन ज्ञान को आधुनिक विचारों से जोड़ता है।”
इस आयोजन में नालंदा लिटरेचर डेवलपमेंट प्रोग्राम को भी रेखांकित किया गया, जो सितंबर 2025 से मार्च 2026 तक चलेगा। इसका उद्देश्य मुख्य फेस्टिवल से पहले रचनात्मक संवाद और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना है। इसके अलावा एनएलएफ की पूरी टीम ने भारत के महान गायक और संगीतकार श्री जुबिन गर्ग को भारतीय संगीत जगत में उनके असाधारण योगदान, विशेष रूप से असमिया संस्कृति और सभ्यता के लिए, श्रद्धांजलि अर्पित की।
नालंदा लिटरेचर फेस्टिवल 2025 भारत की बौद्धिक और सांस्कृतिक विरासत के एक भव्य संगम का वादा करता है, जो देशभर और प्रवासी भारतीय समुदाय की आवाज़ों को राजगीर, नालंदा के ऐतिहासिक स्थलों पर एक साथ लाएगा, और भारत की कालातीत ज्ञान और कल्पना की भावना को फिर से मजबूत बनाएगा।